ड्यूटी के दौरान गैरहाजिर रहने वाले टीचर की सजा छात्रों को देने की निंदा

हिसार। फैडरेशन आफ प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन एवं निसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने हरियाणा शिक्षा बोर्ड के सचिव की ओर से मार्च 20 19 में हुए बोर्ड परीक्षा के दौरान ड्यूटी में गैरहाजिर रहने वाले टीचर्स की सजा एक साल बाद प्रदेश के लाखों छात्रों को देने के आदेश की कड़ी आलोचना की है। श्री शर्मा ने आज यहां कहा कि बोर्ड सचिव ने आदेश जारी करके उन सभी स्कूलों में पढने वाले छात्रों के रोल नंबर रोक दिए हैं, जिन स्कूलों की टीचर्स ने मार्च 20 19 में हुए बोर्ड एग्जाम में डयूटी नहीं दी। फैडरेशन के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा, सचिव राम अवतार शर्मा तथा अन्य पदाधिकारियों ने आज जारी एक संयुक्त बयान में सवाल उठाया कि आखिर भिवानी बोर्ड के अधिकारी किस नियम व कानून के तहत टीचर्स के डयूटी न देने पर छात्रोंं के रोल नंबर रोककर लाखों छात्रों को परेशान कर रहे हैं, जबकि तीन मार्च से इन छात्रों के बोर्ड एग्जाम शुरू होने वाले हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा बोर्ड का एक साल बाद इस तरह की कार्यवाही करना उचित नहीं है। टीचर्स ने मार्च 20 19 में हुए एग्जाम के दौरान डयूटी नहीं दी तो बोर्ड अधिकारियों को एग्जाम के बाद तुरंत लेटर जारी कर इस संबंध में स्कूलों से पूछना चाहिए था, लेकिन अब एक साल बाद छात्रों के एग्जाम की तारीख घोषित हो चुकी है तो छात्रों के रोल नंबर रोकना असंवैधानिक व गैरकानूनी है।


बोर्ड ने केवल रूपए एकत्रित करने के लिए करीब 1000 स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों के रोल नंबर रोक दिए हैं, तो वहीं अब इन स्कूलों पर दबाव बनाकर उनसे 5000 रूपए जुर्माना मांगा जा रहा है, जबकि एक्ट में कोई ऐसा प्रावधान नहीं है। श्री शर्मा ने कहा कि टीचर्स शिक्षा बोर्ड द्वारा डयूटी लगाए जाने के बाद दिलचस्पी नहीं दिखाते, क्योंकि कई सालों से जिन भी टीचर्स ने एग्जाम डयूटी दी है, बोर्ड की तरफ से उन्हें कोई मानदेय नहीं दिया गया। यदि बोर्ड मानदेय दे देता तो निश्चित तौर पर टीचर्स में डयूटी के प्रति खुद ही दिलचस्पी बन जाती।